भारतीय टेक इंडस्ट्री में महिलाओं की वर्तमान स्थिति
भारत में टेक सेक्टर ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त विकास किया है, लेकिन इस ग्रोथ के बावजूद महिलाओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही है। नैसकॉम के हालिया आँकड़ों के अनुसार, भारतीय IT और टेक्नोलॉजी सेक्टर में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 35% है, लेकिन जैसे-जैसे जॉब पोजीशन ऊपर जाती हैं, यह प्रतिशत घटता जाता है। महिला लीडर्स और मैनेजमेंट स्तर पर उनकी मौजूदगी अब भी सीमित है।
टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में महिलाओं को कई सामाजिक और प्रोफेशनल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे-जेंडर बायस, करियर ब्रेक्स, वर्क-लाइफ बैलेंस की दिक्कतें, और कभी-कभी लैंगिक असमानता के कारण प्रमोशन व ग्रोथ में बाधाएँ। कई बार समाजिक दृष्टिकोण और परिवारिक जिम्मेदारियाँ भी महिलाओं को इस क्षेत्र से दूर रखती हैं।
इसका परिणाम यह होता है कि बहुत सी प्रतिभाशाली महिलाएँ या तो अपने करियर की शुरुआत ही नहीं करतीं या फिर बीच रास्ते में टेक सेक्टर छोड़ देती हैं। इन सबके बावजूद भारत में कई ऐसे उदाहरण भी हैं जहाँ महिलाएँ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बन रही हैं।
आज जरूरत है कि हम न सिर्फ आँकड़ों को समझें, बल्कि उन मुख्य चुनौतियों की पहचान करें जो महिलाओं को टेक्नोलॉजी सेक्टर में पूरी तरह से भागीदारी निभाने से रोकती हैं। इससे आगे जाकर हम बेहतर रणनीति बना सकते हैं जिससे महिलाओं की भागीदारी बढ़े और भारत की डिजिटल इकॉनमी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सके।
2. संस्कार और समाजिक बाधाएँ
भारतीय समाज में महिलाओं के लिए टेक्नोलॉजी क्षेत्र में करियर बनाना अब भी एक चुनौती है। इसके पीछे मुख्य रूप से पारिवारिक संस्कार, सामाजिक अपेक्षाएँ और सांस्कृतिक धारणाएँ जिम्मेदार हैं। अक्सर लड़कियों को परंपरागत भूमिकाओं तक सीमित कर दिया जाता है, जिससे उनके तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने या करियर बनाने की संभावनाएँ कम हो जाती हैं। परिवार में यह धारणा बनी रहती है कि तकनीकी पेशे पुरुषों के लिए अधिक उपयुक्त हैं, जबकि महिलाओं को शिक्षण, चिकित्सा या गृहस्थी जैसे क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जाता है।
भारतीय पारिवारिक और सामाजिक कारक
कारक | प्रभाव | उदाहरण |
---|---|---|
पारिवारिक अपेक्षाएँ | महिलाओं को घरेलू जिम्मेदारियों की ओर प्रेरित करना | शादी के बाद नौकरी छोड़ना, तकनीकी शिक्षा में रुचि कम करना |
सांस्कृतिक मान्यताएँ | टेक्नोलॉजी को पुरुष प्रधान क्षेत्र मानना | लड़कियों को इंजीनियरिंग कॉलेज भेजने से हिचकिचाहट |
सामाजिक दबाव | करियर के बजाय विवाह को प्राथमिकता देना | परिवार का जल्दी शादी करवाना, नौकरी न करने की सलाह देना |
रोल मॉडल्स की कमी | प्रेरणा की कमी, आत्मविश्वास में गिरावट | महिला टेक लीडर्स का अभाव, सफल उदाहरणों की जानकारी का अभाव |
क्या समाधान संभव हैं?
इन बाधाओं को दूर करने के लिए परिवारों और समाज में जागरूकता लाना जरूरी है। माता-पिता, शिक्षक और समुदाय अगर मिलकर लड़कियों को तकनीकी शिक्षा व करियर की ओर प्रोत्साहित करें, तो बदलाव संभव है। साथ ही टेक कंपनियों द्वारा महिला रोल मॉडल्स को सामने लाने और महिलाओें के लिए स्कॉलरशिप व इंटर्नशिप जैसी योजनाएँ शुरू करना भी मददगार सिद्ध हो सकता है। भारतीय संस्कृति में बदलाव धीरे-धीरे आता है, लेकिन जब मिलकर प्रयास किए जाएँ तो महिलाएँ भी टेक्नोलॉजी टीमों में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं।
3. प्रेरणा और रोल मॉडल्स
टेक इंडस्ट्री में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रेरणा और सही रोल मॉडल्स का होना बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में कई ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कर अपनी अलग पहचान बनाई है।
प्रसिद्ध भारतीय महिला टेक लीडर्स
रेशमा सौजानी
रेशमा सौजानी, “Girls Who Code” की संस्थापक हैं। उन्होंने महिलाओं को कोडिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। उनकी कहानी ने हजारों युवतियों को टेक्नोलॉजी में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है।
अरुंधति भट्टाचार्य
अरुंधति भट्टाचार्य, Salesforce India की CEO हैं और पूर्व में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पहली महिला चेयरपर्सन रही हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि मजबूत नेतृत्व और लगन से महिलाएं किसी भी ऊँचाई तक पहुँच सकती हैं।
अपर्णा चेंगप्पा
अपर्णा, Google India में Director of Product Management के पद पर कार्यरत हैं। वह लगातार युवतियों को टेक्नोलॉजी में सशक्त बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत
इन जैसी सफल महिलाओं की कहानियाँ न केवल प्रेरणा देती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि चुनौतियों के बावजूद हार न मानना ही सफलता की कुंजी है। जब युवा लड़कियां इन लीडर्स की जर्नी सुनती या पढ़ती हैं, तो उनमें आत्मविश्वास और जोश पैदा होता है कि वे भी तकनीकी क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल कर सकती हैं।
समाज और परिवार की भूमिका
समाज और परिवार को चाहिए कि वे लड़कियों को ऐसे रोल मॉडल्स से परिचित कराएँ ताकि वे भी अपने सपनों को पूरा करने का साहस जुटा सकें। प्रेरणादायक कहानियाँ ही असली बदलाव की नींव रखती हैं।
4. शिक्षा, स्किल्स और ट्रेनिंग के अवसर
भारतीय महिलाओं के लिए टेक इंडस्ट्री में सफल करियर बनाने हेतु शिक्षा, कौशल विकास और विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज के समय में कई ऐसे कोडिंग बूटकैम्प, स्कॉलरशिप, इंटर्नशिप और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स उपलब्ध हैं, जो खासतौर पर भारतीय महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य महिलाओं को टेक्नोलॉजी क्षेत्र में न केवल प्रवेश दिलाना बल्कि उन्हें लीडरशिप रोल्स तक पहुँचने में सहयोग करना है। नीचे दिए गए टेबल में कुछ प्रमुख अवसरों की जानकारी दी गई है:
प्रोग्राम/संस्था | विवरण | लाभार्थी | आवेदन प्रक्रिया |
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SheCodes India Bootcamp | कोडिंग और सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट पर केंद्रित बूटकैम्प, विशेष रूप से महिलाओं के लिए डिज़ाइन किया गया। | 18-35 वर्ष की महिलाएं | ऑनलाइन एप्लिकेशन और टेस्ट |
Tata Consultancy Services (TCS) iON Women Scholarship | आईटी संबंधित पाठ्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति, जिससे महिलाओं को उच्च शिक्षा में मदद मिलती है। | स्नातक एवं स्नातकोत्तर महिला विद्यार्थी | कॉलेज नामांकन के दौरान आवेदन |
NASSCOM Women Wizards Rule Tech (W2RT) | टेक्निकल स्किल्स अपग्रेडेशन और नेटवर्किंग के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम। | आईटी सेक्टर में कार्यरत महिलाएं | कॉर्पोरेट नामांकन या व्यक्तिगत आवेदन |
Google India STEP Internship for Women | पहली या दूसरी वर्ष की महिला छात्रों के लिए समर इंटर्नशिप, जिसमें प्रोजेक्ट एक्सपीरियंस मिलता है। | सीएस/आईटी स्टूडेंट्स (महिला) | ऑनलाइन फॉर्म व चयन प्रक्रिया |
AnitaB.org India Scholarships & Mentoring Programs | महिलाओं के लिए विविध टेक्निकल स्कॉलरशिप्स व मेंटरशिप प्लेटफार्म। | टेक्नोलॉजी में रुचि रखने वाली महिलाएं | वेबसाइट पर पंजीकरण व चयन प्रक्रिया |
इन अवसरों का लाभ उठाकर भारतीय महिलाएं अपने स्किल्स को बेहतर बना सकती हैं और टेक टीम्स में अपनी भागीदारी बढ़ा सकती हैं। संस्थाओं और कंपनियों को चाहिए कि वे इन कार्यक्रमों को प्रमोट करें तथा अधिक से अधिक महिलाओं को इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित करें। इस प्रकार, निरंतर सीखने, प्रशिक्षण और नेटवर्किंग द्वारा महिलाएं न केवल व्यक्तिगत स्तर पर ग्रोथ करेंगी बल्कि भारतीय तकनीकी उद्योग को भी नई ऊँचाइयों तक पहुंचाएंगी।
5. सुरक्षा और कार्यस्थल का माहौल
टेक कंपनियों में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित, सहायक और समावेशी वातावरण बनाना बेहद जरूरी है। भारतीय संस्कृति में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह न केवल उनकी व्यक्तिगत भलाई से जुड़ा है, बल्कि उनकी पेशेवर सफलता में भी बड़ा योगदान देता है।
सबसे पहले, कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर महिला कर्मचारी को यौन उत्पीड़न विरोधी नीति (POSH) के बारे में पूरी जानकारी हो और किसी भी प्रकार की शिकायत के लिए आसान व गोपनीय प्रक्रिया उपलब्ध हो। इससे महिलाएं खुलकर अपनी बात रख सकती हैं और उन्हें किसी भी तरह की असुरक्षा महसूस नहीं होती।
दूसरा, फिजिकल और डिजिटल दोनों ही स्तरों पर सुरक्षा उपाय लागू किए जाने चाहिए – जैसे सीसीटीवी कैमरे, सिक्योर एंट्री सिस्टम, और वर्क फ्रॉम होम या फ्लेक्सिबल वर्किंग पॉलिसी। साथ ही, टेक्नोलॉजी टूल्स के माध्यम से ऑनलाइन उत्पीड़न या साइबरबुलिंग से बचाव के लिए ट्रेनिंग और जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं।
इसके अलावा, इमोशनल सपोर्ट और मेंटरशिप कल्चर को बढ़ावा देना जरूरी है। सीनियर फीमेल लीडर्स या डाइवर्सिटी चैम्पियन्स द्वारा रेगुलर इंटरेक्शन से जूनियर महिला कर्मचारियों को आत्मविश्वास मिलता है और वे अपने करियर गोल्स पर फोकस कर पाती हैं।
एक समावेशी कार्यस्थल वह होता है जहां सभी जेंडर, बैकग्राउंड और सोच का स्वागत किया जाता है। यहां हर महिला को बराबरी का मौका मिलता है, जिससे उनकी भागीदारी स्वाभाविक रूप से बढ़ती है। भारतीय संदर्भ में पर्व-त्योहार, सामूहिक गतिविधियां व सामाजिक पहलें भी टीम स्पिरिट और सहयोग को मजबूत बनाती हैं। इस प्रकार, जब टेक कंपनियां सुरक्षा, सपोर्ट और समावेशन को प्राथमिकता देती हैं तो महिलाएं न सिर्फ शामिल होती हैं, बल्कि लीडरशिप रोल्स में भी आगे आती हैं।
6. सरकारी और इंडस्ट्री इनिशिएटिव्स
सरकारी पहलों की भूमिका
भारत में महिलाओं के लिए टेक करियर को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं समाज में लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण को प्राथमिकता देती हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करना और परिवारों को बेटियों की शिक्षा के प्रति जागरूक बनाना है। इससे STEM (Science, Technology, Engineering and Mathematics) क्षेत्रों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ रही है और वे तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित हो रही हैं।
इंडस्ट्री द्वारा चलाई जा रही पहलें
बहुत सी भारतीय कंपनियां कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) प्रोग्राम्स के तहत महिलाओं के लिए टेक स्कॉलरशिप, ट्रेनिंग व इंटर्नशिप मुहैया करा रही हैं। उदाहरण स्वरूप, कई IT कंपनियां महिला विद्यार्थियों के लिए विशेष कोडिंग बूटकैम्प्स, मेंटरशिप प्रोग्राम्स और लीडरशिप डेवलपमेंट वर्कशॉप्स आयोजित करती हैं। इससे महिलाओं को न केवल तकनीकी कौशल मिल रहा है, बल्कि उन्हें इंडस्ट्री नेटवर्किंग व करियर मार्गदर्शन भी प्राप्त हो रहा है।
साझेदारी का महत्व
सरकार और इंडस्ट्री दोनों की साझेदारी से एक मजबूत ईकोसिस्टम बनता है, जो महिलाओं को टेक्नोलॉजी फील्ड में आगे बढ़ने के लिए जरूरी संसाधन और अवसर उपलब्ध कराता है। ये पहलें न सिर्फ शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों तक भी विस्तार पा रही हैं, जिससे समाज के हर वर्ग की महिलाओं को लाभ मिल रहा है।
भविष्य की दिशा
आगे चलकर इन पहलों का विस्तार और अधिक व्यापक स्तर पर किया जाना चाहिए ताकि महिलाओं की भागीदारी टेक टीमों में निरंतर बढ़ती रहे और भारत डिजिटल युग में महिला शक्ति के साथ अग्रसर हो सके।
7. नेटवर्किंग और मेंटरशिप
टेक इंडस्ट्री में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए प्रोफेशनल नेटवर्किंग, कम्युनिटी सपोर्ट और मेंटरशिप प्लेटफॉर्म्स की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
प्रोफेशनल नेटवर्किंग का महत्व
लड़कियों और महिलाओं के लिए टेक करियर में आगे बढ़ना अक्सर चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर जब उनके पास सही कनेक्शन और मार्गदर्शन न हो। प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे LinkedIn, Women in Tech India, और She Loves Tech जैसी कम्युनिटीज़ महिलाओं को इंडस्ट्री लीडर्स से जोड़ती हैं और नए अवसरों तक पहुँचने में मदद करती हैं। इन नेटवर्क्स के ज़रिए महिलाएं अपने अनुभव साझा कर सकती हैं, नई नौकरियों के बारे में जान सकती हैं और आत्मविश्वास बढ़ा सकती हैं।
कम्युनिटी सपोर्ट का प्रभाव
इंडिया में कई टेक आधारित कम्युनिटी ग्रुप्स जैसे Girls Who Code India, Women Who Code Bangalore, या TechGig Women Community, लड़कियों को एक सुरक्षित और सहयोगी माहौल देती हैं। इन ग्रुप्स के माध्यम से महिलाएं एक-दूसरे से सीखती हैं, प्रेरित होती हैं और अपने प्रोजेक्ट्स पर फीडबैक ले सकती हैं। यह सपोर्ट सिस्टम महिलाओं को कठिनाइयों से उबरने और अपने स्किल्स को बेहतर बनाने का मौका देता है।
मेंटरशिप प्लेटफॉर्म्स की भूमिका
मेंटरशिप किसी भी पेशेवर यात्रा का अहम हिस्सा है, खासतौर पर तब जब महिला पेशेवरों को अपने क्षेत्र में रोल मॉडल या गाइडेंस की ज़रूरत होती है। प्लेटफॉर्म्स जैसे MentorHer India, Womennovator और NASSCOM Women Wizards Rule Tech प्रोग्राम्स महिलाओं को अनुभवी पेशेवरों से जोड़ते हैं। ये मेंटर्स उन्हें करियर प्लानिंग, इंटरव्यू प्रेपरेशन, स्किल डेवलपमेंट और पर्सनल ब्रांड बिल्डिंग में सपोर्ट करते हैं।
सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कदम
भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स को चाहिए कि वे इंटरनल वूमन नेटवर्क्स बनाएं, रेगुलर मीटअप्स ऑर्गनाइज करें, और एक्सपर्ट टॉक्स या वर्कशॉप्स के ज़रिए महिलाओं के लिए ओपन मंच तैयार करें। साथ ही कॉलेज स्तर पर भी टेक कम्युनिटी ग्रुप्स की शुरुआत लड़कियों के आत्मविश्वास को बढ़ा सकती है।
समापन विचार
नेटवर्किंग और मेंटरशिप न केवल लड़कियों और महिलाओं को टेक इंडस्ट्री में प्रवेश करने का रास्ता दिखाते हैं बल्कि उन्हें नेतृत्वकारी भूमिकाओं तक पहुंचने का भी आत्मबल देते हैं। मजबूत नेटवर्क और प्रेरणादायक मेंटर्स के साथ, भारतीय महिलाएं टेक्नोलॉजी सेक्टर में अपनी अलग पहचान बना सकती हैं।